सचिन तेंदुलकर कैसे बने क्रिकेट के भगवान। Sachin tendulakar Biography in Hindi

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सचिन तेंदुलकर कैसे बने क्रिकेट के भगवान। Sachin tendulakar Biography in Hindi



सचिन तेंदुलकर: क्रिकेट का भगवान और भारत का गौरव।

सचिन तेंदुलकर, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही क्रिकेट प्रेमियों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है, और यह उपाधि उन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा, कठिन परिश्रम और निरंतरता से अर्जित की है। सचिन न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा हैं। क्रिकेट की दुनिया में उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड्स को तोड़ पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए असंभव सा लगता है। आइए, उनके इस अद्वितीय जीवन की यात्रा पर एक नजर डालते हैं।


शुरुआती जीवन और क्रिकेट की शुरुआत

सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता, रमेश तेंदुलकर, एक मराठी साहित्यकार और कवि थे, और उनकी माता, रजनी तेंदुलकर, एक बीमा कंपनी में काम करती थीं। सचिन का नाम उनके पिता ने प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था, क्योंकि वे उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे।


सचिन ने मात्र 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनके बड़े भाई, अजित तेंदुलकर, उनके पहले गुरु थे, जिन्होंने उन्हें क्रिकेट के प्रति प्रेरित किया और उनकी खेल क्षमता को पहचानते हुए उन्हें कोच रमाकांत आचरेकर के पास भेजा। आचरेकर की कड़ी ट्रेनिंग ने सचिन की नींव मजबूत की और यही से उनकी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत हुई।


अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश और शुरुआती संघर्ष

सचिन ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट मैच से की। यह उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण दौर था, क्योंकि पाकिस्तान की गेंदबाजी आक्रमण में वसीम अकरम और वकार युनुस जैसे दिग्गज शामिल थे। हालांकि, सचिन ने अपने पहले मैच में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन उनकी दृढ़ता और जुनून ने सभी का ध्यान खींचा।


उनकी शुरुआत कठिन थी, लेकिन उन्होंने जल्दी ही अपनी छाप छोड़ी। 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में उन्होंने अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी लगाई, जो उनकी प्रतिभा का प्रमाण थी। इसके बाद सचिन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और क्रिकेट के मैदान पर एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हासिल कीं।



सचिन की शादी और परिवार

सचिन तेंदुलकर की शादी 24 मई 1995 को अंजलि मेहता से हुई, जो पेशे से एक डॉक्टर हैं। अंजलि और सचिन की पहली मुलाकात मुंबई एयरपोर्ट पर हुई थी, और तब से उनका रिश्ता गहराता चला गया। उनकी शादी एक साधारण समारोह में हुई थी, और अंजलि ने हमेशा सचिन के करियर में एक मजबूत समर्थन के रूप में काम किया है।


सचिन और अंजलि के दो बच्चे हैं - बेटी सारा तेंदुलकर और बेटा अर्जुन तेंदुलकर। अर्जुन भी एक क्रिकेटर हैं और उन्होंने मुंबई की घरेलू टीम के लिए खेलना शुरू कर दिया है। सारा ने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया है और हमेशा अपने पिता के करीब रही हैं।


सचिन के करियर में रिकॉर्ड्स और उपलब्धियां

सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट करियर में कई ऐसे रिकॉर्ड्स हैं, जिन्हें तोड़ पाना आज भी मुश्किल है। उन्होंने टेस्ट, वनडे और टी20 क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। आइए उनके प्रमुख रिकॉर्ड्स पर नजर डालते हैं:


1. वनडे (ODI) क्रिकेट में रिकॉर्ड्स:

मैच खेले: 463

कुल रन: 18,426

शतक: 49

अर्धशतक: 96

उच्चतम स्कोर: 200* (2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला दोहरा शतक)

मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड्स: 62 (सबसे अधिक)

मैन ऑफ द सीरीज अवॉर्ड्स: 15

सचिन तेंदुलकर ने वनडे में पहला दोहरा शतक (200 रन) लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया। 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 200* रन की पारी खेलकर सचिन ने इतिहास रच दिया।

सचिन तेंदुलकर ने वनडे में पहला दोहरा शतक (200 रन) लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया। 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 200* रन की पारी खेलकर सचिन ने इतिहास रच दिया।


2. टेस्ट क्रिकेट में रिकॉर्ड्स:

मैच खेले: 200

कुल रन: 15,921

शतक: 51 (सबसे ज्यादा टेस्ट शतक)

अर्धशतक: 68

उच्चतम स्कोर: 248* (बांग्लादेश के खिलाफ)

सबसे ज्यादा रन: टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज

सचिन ने टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक लगाए, जो आज तक किसी और बल्लेबाज ने नहीं बनाए हैं। उनके टेस्ट क्रिकेट में 15,921 रन उन्हें सर्वाधिक रन बनाने वाला खिलाड़ी बनाते हैं।


3. टी20 क्रिकेट में योगदान:

हालांकि सचिन का टी20 करियर छोटा था, लेकिन आईपीएल में उन्होंने मुंबई इंडियंस के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने आईपीएल में 2010 में ऑरेंज कैप (सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी) भी जीती थी।


सचिन का स्वर्णिम युग और कीर्तिमान

1990 के दशक में सचिन ने विश्व क्रिकेट में अपनी जगह पक्की कर ली थी। उन्होंने कई यादगार पारियां खेली, जिनमें 1998 में शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी 'डेजर्ट स्टॉर्म' पारी को लोग आज भी याद करते हैं। 1996 और 2003 के विश्व कप में भी सचिन का प्रदर्शन शानदार रहा था।

सचिन ने 2011 के विश्व कप में भी अहम भूमिका निभाई, जहां भारत ने 28 साल बाद विश्व कप जीता। यह सचिन के करियर का सबसे बड़ा सपना था, जो पूरा हुआ। इस जीत के बाद सचिन ने कहा, "यह मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल है।"


चोटों और संघर्षों के बीच सफर

सचिन का करियर केवल सफलताओं से भरा नहीं था, बल्कि उन्हें कई बार चोटों का सामना भी करना पड़ा। 2004 में टेनिस एल्बो की चोट ने उन्हें लगभग एक साल तक क्रिकेट से दूर रखा। इसके बावजूद सचिन ने कभी हार नहीं मानी और हर बार मैदान में वापसी कर अपने आलोचकों को जवाब दिया।


सचिन का संन्यास और विरासत

2013 में, सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उनका अंतिम टेस्ट मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला गया था। संन्यास के समय पूरा देश उनके सम्मान में झुक गया। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 'भारत रत्न' से भी नवाजा गया, जो किसी भी खिलाड़ी को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान है।


निष्कर्ष

सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट यात्रा एक प्रेरणा का स्रोत है। उनकी मेहनत, संघर्ष, और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें एक ऐसा खिलाड़ी बनाया, जिसे पूरी दुनिया सम्मान की नजरों से देखती है। आज भी, सचिन का नाम क्रिकेट की दुनिया में सबसे ऊपर लिया जाता है, और उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड्स और उपलब्धियां उन्हें सदियों तक याद दिलाती रहेंगी।


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