भारत एक ऐसा देश है जो न केवल अपनी विविधता और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की कुछ जगहें भी ऐसी हैं जिन्हें प्रेतवाधित माना जाता है। प्राचीन महलों से लेकर छोटे गांवों तक, इन स्थानों के पीछे कई रहस्यमय कहानियां और घटनाएं छिपी हुई हैं। यहां हम भारत की 5 सबसे प्रेतवाधित जगहों के बारे में जानेंगे, जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगी।
1. भानगढ़ किला, राजस्थान
भानगढ़ किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है और इसे भारत की सबसे प्रेतवाधित जगहों में से एक माना जाता है। 16वीं शताब्दी में राजा माधो सिंह द्वारा बनवाया गया यह किला एक समय में बहुत ही खूबसूरत और समृद्ध था, लेकिन आज यह खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इस किले पर एक तांत्रिक की आत्मा का साया है जिसने यहां के लोगों को श्राप दिया था।
कहानी के अनुसार, किले के पास एक तांत्रिक रहता था जिसे किले की राजकुमारी रत्नावती से प्रेम हो गया था। तांत्रिक ने राजकुमारी को अपने वश में करने के लिए काले जादू का प्रयोग किया, लेकिन राजकुमारी ने उसकी चालाकी को समझ लिया और उसे मार डाला। मरने से पहले तांत्रिक ने किले को श्राप दिया कि यहां के सभी लोग जल्द ही मर जाएंगे और उनकी आत्माएं इस किले में हमेशा के लिए फंसी रहेंगी। इसके बाद से, इस किले को प्रेतवाधित माना जाने लगा।
भानगढ़ किले के रहस्य को लेकर वैज्ञानिक भी अपने मत रखते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि किले की संरचना और भूगर्भीय स्थिति इसके प्रेतवाधित होने का कारण हो सकते हैं। किले के चारों ओर पहाड़ियां हैं और कहा जाता है कि यहां का चुंबकीय क्षेत्र बहुत मजबूत है, जिससे अजीब घटनाएं घटित होती हैं।
भानगढ़ किला भारत में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है और यहां आने वाले पर्यटक इस किले के रहस्यों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। कई अनुसंधानकर्ताओं ने भी यहां अध्ययन किया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका है जो इस किले के प्रेतवाधित होने को सिद्ध कर सके।
यहां आने वाले पर्यटक अक्सर अजीबोगरीब घटनाओं का सामना करते हैं जैसे कि अनजान आवाजें, धुंधले साये, और अचानक ठंडक का अनुभव। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भी सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले इस किले में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा रखी है।
2. शनि वारवाड़ा, पुणे
शनि वारवाड़ा महाराष्ट्र के पुणे में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जिसे 1732 में पेशवाओं द्वारा बनवाया गया था। यह किला अपने खूबसूरत वास्तुशिल्प और बागों के लिए जाना जाता है, लेकिन यह भी माना जाता है कि यहां एक प्रेतवाधित आत्मा का निवास है।
कहते हैं कि पेशवा नारायणराव की आत्मा इस किले में भटकती है। 1773 में, नारायणराव की हत्या कर दी गई थी और उनकी चीखों को आज भी रात के समय सुना जा सकता है। "काका, माला वाचवा" (काका, मुझे बचाओ) की आवाजें रात के अंधेरे में सुनाई देती हैं, जो इस किले की भयावहता को और बढ़ा देती हैं।
शनि वारवाड़ा का निर्माण पेशवाओं द्वारा किया गया था और यह किला मराठा साम्राज्य के गौरव का प्रतीक था। किले की वास्तुकला और बाग-बगीचे इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। हालांकि, किले के प्रेतवाधित होने की कहानियां इसे और भी रहस्यमयी बनाती हैं।
यहां के स्थानीय लोग और गाइड बताते हैं कि रात के समय किले में कई अजीब घटनाएं घटित होती हैं। अनजान आवाजें, दरवाजों का अपने आप खुलना और बंद होना, और ठंडी हवा के झोंके यहां के सामान्य अनुभवों में से हैं। हालांकि दिन के समय यह किला पर्यटकों से भरा रहता है, लेकिन रात के समय यहां की डरावनी कहानियां जीवंत हो उठती हैं।
शनि वारवाड़ा के प्रेतवाधित होने की कहानियों के बावजूद, यह किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां आने वाले लोग न केवल किले की सुंदरता का आनंद लेते हैं, बल्कि रात के समय यहां होने वाली अजीब घटनाओं को भी अनुभव करना चाहते हैं। कई पर्यटकों ने यहां रहस्यमयी आवाजें और परछाइयों का अनुभव किया है।
3. डुमस बीच, गुजरात
गुजरात के सूरत शहर में स्थित डुमस बीच एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, लेकिन यह भी माना जाता है कि यहां की रेत और हवाओं में प्रेतात्माओं का साया है। काले रंग की रेत और समुद्र की अनजानी आवाजें इस जगह को और भी रहस्यमयी बना देती हैं।
डुमस बीच को प्राचीन काल में श्मशान भूमि के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। कहा जाता है कि यहां कई आत्माएं अभी भी भटक रही हैं। रात के समय यहां से गुजरने वाले लोगों ने अनजान आवाजें, हंसी और चीखों को सुना है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार लोग यहां से गायब हो गए हैं और उनका कोई पता नहीं चला। यहां के कुत्तों का व्यवहार भी अजीब होता है; वे अक्सर रात के समय अनजानी चीजों को देखकर भौंकते हैं और डर जाते हैं।
डुमस बीच की काली रेत और समुद्र की अनजानी आवाजें इस जगह को और भी रहस्यमयी बना देती हैं। यहां का वातावरण ऐसा है कि यहां आने वाले लोग खुद को एक अलग ही दुनिया में महसूस करते हैं। रात के समय यहां की हवाएं और भी भयानक हो जाती हैं।
स्थानीय लोगों का मानना है कि डुमस बीच पर आत्माओं का निवास है। वे बताते हैं कि कई बार यहां के लोग अजीब घटनाओं का सामना कर चुके हैं। कुछ लोग यहां पर अपने प्रियजनों के साथ पिकनिक मनाने आते हैं, लेकिन रात होते ही वे जल्दी-जल्दी यहां से चले जाते हैं।
4. जमाली-कमाली मस्जिद और मकबरा, दिल्ली
दिल्ली का महरौली क्षेत्र कई प्राचीन इमारतों का घर है, लेकिन जमाली-कमाली मस्जिद और मकबरा अपने प्रेतवाधित होने के कारण प्रसिद्ध है। 1528 में बनवाए गए इस मस्जिद और मकबरे को सूफी संत जमाली और उनके शिष्य कमाली के नाम पर रखा गया है।
यहां आने वाले लोगों ने कई बार महसूस किया है कि कोई अनजाना साया उनका पीछा कर रहा है। मस्जिद के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर अजीब आवाजें, कानाफूसी, और परछाइयां देखी गई हैं। कई लोग यहां रात के समय जाने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें यहां की घटनाओं से डर लगता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भी इस जगह को प्रेतवाधित माना है और यहां रात के समय प्रवेश की मनाही है। यह स्थान दिन के समय पर्यटकों से भरा रहता है, लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, यह एक भूतिया जगह में बदल जाता है।
जमाली और कमाली दो सूफी संत थे, जिनके नाम पर यह मस्जिद और मकबरा बना है। कहते हैं कि दोनों संतों की आत्माएं यहां निवास करती हैं और रात के समय यहां रहस्यमयी घटनाएं घटित होती हैं। मस्जिद के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर अजीब आवाजें और परछाइयां देखी गई हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस जगह को प्रेतवाधित माना है और यहां रात के समय प्रवेश की मनाही है। यहां आने वाले लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। दिन के समय यह मस्जिद पर्यटकों से भरी रहती है, लेकिन रात के समय यह एक भूतिया जगह में बदल जाती है।
5. अग्रसेन की बावली, दिल्ली
दिल्ली के हृदय में स्थित अग्रसेन की बावली एक ऐतिहासिक सीढ़ीदार कुआं है, जिसे राजा अग्रसेन द्वारा 14वीं शताब्दी में बनवाया गया था। यह बावली आज भी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, लेकिन यह भी माना जाता है कि यहां कुछ असामान्य घटनाएं घटित होती हैं।
कहते हैं कि इस बावली में काले पानी की मौजूदगी थी, जो लोगों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करती थी। जिन लोगों ने यहां अपनी जान दी, उनकी आत्माएं आज भी यहां भटकती हैं।
यहां आने वाले लोगों ने महसूस किया है कि कोई अनजाना साया उनका पीछा कर रहा है। बावली के अंदर गहराई में उतरते ही एक अजीब सी ठंडक और भय का अनुभव होता है। कई लोगों ने यहां अचानक घबराहट, असामान्य ध्वनियों और परछाइयों का अनुभव किया है।
अग्रसेन की बावली का निर्माण 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन द्वारा किया गया था। यह बावली आज भी दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। बावली की संरचना और डिजाइन इसे और भी आकर्षक बनाते हैं, लेकिन यहां की रहस्यमयी घटनाएं इसे एक प्रेतवाधित जगह के रूप में प्रसिद्ध करती हैं।